- 329 Posts
- 1555 Comments
हमारे लिए सबसे अच्छा और आसान है अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराना. जबकि हम अपने हालात के लिए खुद ही दोषी है. जरा सोचिए, जब हमें खुद पर ही भरोसा नहीं, तो दूसरे का क्या भरोसा, वह हमारे बारे में ईमानदारी से सोचेगा. क्या हमने कभी अपने नेता का चुनाव ईमानदारी से किया है, क्योंकि हमने छोटे से लालच के चक्कर में योग्य व ईमानदार व्यक्ति का चयन सिर्फ इसलिए नहीं किया कि वह हमारे लिए पीनेपिलाने का इंतजाम करने में सक्षम नहीं था, क्योंकि उसने अपनी गाढ़ी खूनपसीने की कमाई से अपने परिवार की गुजरबसर भी मुश्किल से की, तब हमने सोचा यह भिखारी हमारा क्या भला करेगा, जिसके पास अपने खाने के लिए ही लाले पड़े है. फिर वह इतना ख्यातिप्राप्त भी नहीं था, वह अपनी ईमानदारी को घरघर, व्यक्तिव्यक्ति तक पहुंचाने के लिए अखबारों व न्यूजचैनल्स पर अपनी जगह बना लेता, पर इतना जरूर था कि वह एक नंबर का ईमानदार व कर्मठ व्यक्ति था. पर हम तो आज में जीते है, कल का क्या भरोसा, आज जो मिल गया वही अपना है. बस इसी सोच के चलते हमने चुना उसको जिसके पास पैसों का अंबार लगा था, वह हमारी हर जरूरत पूरी कर सकता था, हमने उस समय सुबह होली और शाम को दीवाली मनाते हुए बड़ी शान से उसका चयन कर लिया, जिसका इतिहास पुलिस ने पहले से ही अपने रिकार्ड रूम में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित कर रखा था. और अब क्योंकि हमने उनको अपना पालनहार बना लिया है, तो वह अपनी शर्तों पर हमारा पालनपोषण करेंगे. यहां पर बात यह आती है कि जब हमने एक ईमानदार व सुयोग्य व्यक्ति की जगह पर भ्रष्ट व्यक्ति का चुनाव अपने नेता के रूप में किया था, तो हम वर्तमान के उत्पन्न समस्याओं के लिए अपने नेता को दोष कैसे दे सकते है. क्योंकि हमने ही अपना भविष्य तय किया था, जो अब वर्तमान में हमारे सामने आकर खड़ा हो गया. तो दूसरे को दोषी कैसे ठहरा सकते है.
Read Comments