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भविष्यवाणियों की भविष्य

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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दुनिया के खत्म होने को लेकर कई भविष्यवाणियां की गई हैं. प्रलय शब्द का जिक्र भी लगभग हर धर्म के ग्रंथ करते हैं. करीब 250 साल पहले महान भविष्यवक्ता नास्त्रेस्देमस ने भी दुनिया के खत्म हो जाने की घोषणा की थी. हालांकि उन्होंने कोई पर्टिकुलर समय नहीं मेंशन नहीं किया था.
बाइबल- इस ग्रंथ में भी प्रलय का उल्लेख है, जब ईश्वर, नोहा से कहते हैं कि महाप्रलय आने वाला है. तुम एक बड़ी नौका तैयार करो, इसमें अपनी फैमिली, सभी जाति के दो-दो जीवों को लेकर बैठ जाओ, सारी धरती जलमग्न होने वाली है.
इस्लाम- इस्लाम में भी कयामत के दिन का जिक्र है. पवित्र कुरान में लिखा है कि कयामत का दिन कौन सा होगा इसकी जानकारी केवल अल्लाह को है. इसमें भी जल प्रलय का ही उल्लेख है.
पुराण- हिंदु धर्म के लगभग सभी पुराणों में काल को चार युगों में बांटा गया है. हिंदु मान्यताओं के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तो प्रलय होती है. इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का फिर से निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है.
नास्त्रेस्देमस की भविष्यवाणी- नास्त्रेस्देमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि एक आग का गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है, जो धरती से मानव के काल का कारण बनेगा. एक अन्य जगह नास्त्रेस्देमस लिखते हैं, कि एक आग का गोला समुद्र में गिरेगा और पुरानी सभ्यता के देश तबाह हो जाएंगे.

आखिर इस तरह की भविष्यवाणियों से क्या हासिल होगा. मेरी समझ में नहीं आता है कि क्यों बेसिर-पैर की बातों को क्यों मीडिया इतना हाईलाइट करता है कि कमजोर दिल वाले दहशत में आ जाए. खुद ही सोचिए कि चाहे कोई वैज्ञानिक हो या ज्योतिष का महापंडित, अगर वह दुनिया के खत्म होने का समय जान सकता है तो ऐसे क्या कारण है कि वह अपनी मृत्यु का समय क्यों नहीं जान पाता. यह लोग हजारों सालों की गणना करके प्रलय का समय बता रहे है, फिर यह लोग अपनी जिंदगी के कुछ सालों की गणना करके क्यों नहीं बता देते कि वह फलां तारीख को फलां बजे दुनिया से रूखसत हो जाएगे, अगर वह ऐसा करते है तो शायद उनको भविष्यवक्ता माना जा सकता है. लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकते है, क्योंकि वह सबसे बड़े मूर्ख है. इन मूर्खों का मीडिया क्यों साथ देता है, यह बात समझ से परे है. जरा कोई इन वैज्ञानिकों से पूछे कि जब आप प्रलय का समय निश्चित कर सकते है तो दुनिया के किसी भी कोने में आने वाले भूकंप का दिन व समय पहले से क्यों नहीं बता सकते है, ताकि हजारों-लाखों की संख्या में लोग मरने से बच जाए. अभी कुछ ही दिन पहले भी अमेरिका के एक पादरी हैरोल्ड कैंपिंग ने दावा किया था कि 21 मई को महाविनाश होगा. कैंपिंग ने बाइबल की तारीखों की कैलकुलेशन के बाद 21 मई, 2011 को दुनिया के खत्म होने की शुरुआत की तारीख बताया है. हकीकत क्या है किसी को नहीं पता, लेकिन सच क्या आज सब जानते है. आज वह पादरी साहब किस कोने में बैठ कर अपने को कोस रहे होंगे, यह तो वह ही जानते होंगे. दूसरी ओर एक पिछले कुछ समय में माया सभ्यता के कैलेंडर के बेस पर भी कुछ ऐसी ही भविष्यवाणी की गई थी. साउथ ईस्ट मैक्सिको के माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की डेट ही मेंशन नहीं है क्योंकि कैलेंडर उसके बाद पृथ्वी का अंत बता रहा है. इसके मुताबिक 21 दिसंबर 2012 को एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा, जिससे सब कुछ खत्म हो जाएगा. इस भविष्यवाणी को पढऩे के बाद मेरे मन में भी थोड़ी शंका हुई क्या सच में 21 दिसंबर 2012 के बाद की कोई डेट नहीं होगी, तो मैंने अपने कम्प्यूटर के कलेंडर में देखा तो पता चला कि 31 दिसंबर 2099 को वृहस्पतिवार का दिन होगा. पर शायद तब तक मैं खुद इस दुनिया में नहीं रहने वाला. अब सवाल यह उठता है कि इस तरह की भविष्यवाणियां करके या इन भविष्यवाणियों को प्रसारित-प्रचारित करके किन लोगों को फायदा होता है, इस बात का पता लगाया जाए और उनको सजा सुनाई जाए, इन लोगों के द्वारा जन-जन में फैलाए जाने वाले इमोशनल अत्याचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है. ताकि लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ न हो. वैसे भी पूरी दुनिया में कोई किसी से डरे या न डरे पर उस ईश्वर या खुदा से हर कोई डरता है जिसके पास जाने का रास्ता व समय आज तक किसी को नहीं पता है. अब देखिए दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को, जिसने अपनी वसीयत में अपनी संतानों को आतंक की राह पर न चलने की बात कही है. तब ऐसे में दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी करने वाले ज्योतिष के महापंडितों, वैज्ञानिकों और उनका समर्थन करने वालों को आखिर सोचना होगा कि वह ऐसा क्यों कर रहे है? इससे क्या हासिल होगा.

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