Menu
blogid : 2899 postid : 448

बड़े बेआबरू होकर…

Harish Bhatt
Harish Bhatt
  • 329 Posts
  • 1555 Comments

तमाम प्रयासों के बावजूद भी उत्तराखंड के सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक को जाना ही पड़ा. वह भी ऐसे समय में जब राज्य के चुनाव सिर पर है. चुनाव से ठीक पहले नेतृत्व परिवर्तन की बात समझ नहीं आ रही है. डा. निशंक भले ही व्यवहारिक तौर पर लोकप्रिय सीएम हो सकते है, पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता, कि अपने सीएम के कार्यकाल की शुरूआत में जितना जोश उन्होंने दिखाया था, वह धीरे-धीरे क्षीण होता गया और डा. निशंक लगातार भ्रष्टचार के आरोपों में घिरते गए. उनका यह कार्यकाल चुनाव तक जारी भी रह सकता था. लेकिन लालकृष्ण आड़वाणी की भ्रष्टाचार के खात्मे को लेकर रथयात्रा बीच में आ गई. पार्टी के शीर्ष नेता की भ्रष्टाचार के खिलाफ रथयात्रा और उनकी ही पार्टी के एक सीएम भ्रष्टïाचार के आरोपों से लदे पड़े हो, कैसे हो सकता है. लिहाजा आनन-फानन में डा. निशंक को हटाने की कवायद शुरू हो गई. परिणाम स्वरूप मे.ज. भुवन चंद्र खंडूरी को सीएम की कुर्सी सौंपने का ऐलान कर दिया गया. यहां पर एक बात यह है कि जनरल खंडूरी व्यवहारिक तौर पर लोकप्रिय न हो, पर उनकी ईमानदार व कड़क छवि ही उनको दोबारा उस मुकाम पर ले आई, जहां उनको लगभग दो वर्ष पूर्व भारी मन से जाना पड़ा था. यह नेतृत्व परिवर्तन उत्तराखंड के फलक पर कौन से रंग सजाएगा, यह तो समय के गर्भ में है. लेकिन एक सवाल आज भी मन को बैचेन कर देता है, जब जनरल खंडूरी इतने ईमानदार व स्वच्छ छवि के नेता थे, तो उनको पहले क्यों सीएम के पद से हटाया गया था? बहरहाल यह पार्टी का अपना विवेक है, वह क्या चाहती है. लेकिन सच बात यह है कि ऐन चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन की बात बेमानी सी लगती है. जिन गलियारों से निकले थे बेआबरू होकर, आज उन्हीं गलियारों पर लौटेंगे जनरल खंडूरी शान से.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh