Harish Bhatt
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तेरी खामोशी
ये कहां ले आई मुझे
तेरी एक
हां के इंतजार में
बदल गए
रास्ते जिंदगी के
जाना था कहां
पहुंच गए यहां
तेरी राह
देखते-देखते
इरादे पस्त हो गए
अब तो यह आलम है
दिल रोता है
शब्द निकलते है
दुनिया हंसती है
और
कहती है मुझे पागल
कहती है तो कहे
हम पागल ही अच्छे
किसी को
गुमराह तो नहीं करते
बस यूं ही लिखते है
मन को शांत करते है
और क्या रखा है अब
यूं ही प्यार से मिलते है
शायद
किसी की दुआ
हो जाए मेरे नाम
और
ख़ामोशी के आलम में
बना डालू
शब्दों का ताजमहल
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