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मैं जानता हूं
आप कुछ नहीं कर सकेंगे
पढ़ कर, सोचेंगे थोड़ा
या हो सकता है
बिल्कुल भी नहीं देंगे ध्यान
सही भी है
आपकी भी अपनी हैं परेशानियां
ऐसे में मेरे लिए कहां होगा समय
लेकिन फिर भी बताता हूं आपको
अपने मन की बात
बहुत परेशान करती है
छोटी-छोटी बातें
हो कोई बड़ी समस्या
तो की जा सकती है तैयारियां
मांगी जा सकती है मदद
लेकिन क्या करूं
जब समस्याएं हो छोटी-छोटी और
फैला दूं हाथ – मांगू मदद
तब लगता है
आखिर अब मैंने क्या किया?
फिर जुटाता हूं हिम्मत
निकालता हूं समस्याओं का हल
लेकिन अचानक देखता हूं क्या
फिर आ गई एक और समस्या
शायद यही है जिंदगी का सफर
कभी आसान तो कभी कठिन
पहुंचना है सबको मंजिल पर अपनी
हो सकते है रास्ते अलग-अलग
परेशानियां, जुदा-जुदा
खुद तो हूं मैं परेशान
आपको भी कर दिया परेशान
लेकिन क्या करूं?
बस यूं ही
आप अपने रास्ते, मैं अपने रास्ते
चलते जा रहे है अनंत की तलाश में
एक-दूसरे के सहयोग प्यार के सहारे.
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