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समझाना और समझना

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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कभी मैंने उसे न समझा
कभी उसने मुझे न जाना
और
हो गई गलत फहमियां
एक रास्ते के थे हमसफर हम
मंजिलें भी हो गई जुदा-जुदा
न मालूम मैंने क्या समझाया
न जाने उसने क्या समझा
समझने- समझाने के फेर में
समझ- समझ का फर्क आ गया
समझते – समझते आ गई
मुझ में समझ इतनी कि
जिसकी जितनी समझ
उतना ही होता है वह समझदार
इसलिए समझा गया हूं मैं
किसी को समझाने से अच्छा है
खुद ही समझो दुनिया को
क्योंकि खुद से अच्छा कोई नहीं
खुद अच्छे तो दुनिया अच्छी.
खुद बुरे तो दुनिया बुरी.

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