Harish Bhatt
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देखा जो एक बार
तुमने मुस्करा कर
न जाने क्यों लगने लगा मुझे
तुम्हीं हो
मेरे जीवनपथ के साथी
बस फिर क्या
सारी दुनिया एक ओर
और तुम्हारा इंतजार एक ओर
इंतजार भी कैसा
जो करता रहा मुझे परेशान
इस इंतजार के चक्कर में
मैं ऐसा डूबा कि
एक पराये को अपनाने के फेर में
अपनों को दूर करता रहा
वक्त ने भी खूब बदला लिया मुझसे
न ही तुम आए
न ही काबिल बना मैं
अपनों ने भी छोड दिया साथ मेरा
जीवन पथ के सुनसान रास्तों पर
भटक रहा हूं अकेला तन्हा
तन्हाई में सोचता हूं कि काश
न देखा होता तुमने मुस्करा कर
न करता मैं तुम्हारा इंतजार
तो शायद आज
होती सारी दुनिया मेरी मुट़ठी में
नजरों के फेर ने बदल दी राहे
अब किसे दूं दोष मैं
यह तो मेरी ही नजरों को फेर था
जो एक मुस्कराहट को
समझ बैठा प्यार.
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