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मौर्य वंश के सम्राट अशोक का मन कलिंग युद्घ में हुई क्षति तथा नर संहार से ऊब गया और वो अपने कृत्य से व्यथित हो गए. इसी शोक में वो बुद्घ के उपदेशों के करीब आते गए और उन्होंने शिकार तथा पशु हत्या करना छोड़ दिया. जनकल्याण के लिए चिकित्सालय, पाठशालाएं तथा सड़कों का निर्माण कार्य करवाना शुरू कर दिया. दूसरा रामायण की रचना करने से पूर्व महर्षि वाल्मीकि भी एक डाकू ही थे. उनका भी ह्दय परिवर्तन ही हुआ. तब ऐसे में हत्याओं व अन्य आरोपों से घिरे नरेंद्र मोदी का ह्दय परिवर्तन भी तो हो सकता है. अब वक्त आ गया है पुरानी बातों को भुलाकर विकास के मार्ग पर चलने का. संकुचित सोच से ऊपर उठकर सोचिए एक देश के समुचित विकास के लिए साठ साल कम होते है. भारत के बाद आजाद हुए देश आज विकास के मामले में भारत से आगे निकल रहे है. भारतीय आज भी बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे है. क्यों? लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजतंत्र व्यवस्था का अनुसरण क्यों? हमारे बुजुर्ग ने अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए कांग्रेस की सोच को साकार करने के लिए उसका साथ दिया. तब ऐसे में एक बात ही समझ आती है, पहली यह कि हमारे बुजुर्गो को अपने बच्चों के लिए स्वर्णिम सपने देखने नहीं आते थे, वह यूं ही कांग्रेस का साथ देते रहे. दूसरी यह कि कांग्रेस के नेताओं खुलकर हमारे परिजनों के सीधेपन का फायदा उठाया. कांग्रेस ने भावनात्मक रूप से उनका शोषण तो किया ही साथ ही हमको वर्तमान हालत में पहुंचा दिया. अब यह फैसला हमको करना है हमारे बुजुर्ग गलत थे या कांग्रेस. कांग्रेस की सोच विकासपरक होती, तो आज वह साकार रूप में हमारे सामने होती. अब जरूरत है नई सोच और नए इरादों की. आज हम विकास की नई सोच का साथ देंगे, तो उसके परिणाम भले ही हमें न मिले, पर हमारी पीढिय़ों को तो जरूर मिलेंगे.
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