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प्रचार को ये घटिया तरीके मंजूर नहीं

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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भारत में पाकिस्तान के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है और उसकी छवि दुश्मन देश के तौर पर बनाने के लिए भारतीयों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है.
यह कहना है भारतीय अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का. जो फरवरी में अपनी किताब ‘ऐंड देन वन डे: अ मेम्वार’ के प्रमोशन के लिए पाकिस्तान गए थे. पाकिस्तान के एक जानेमाने अंग्रेजी अखबार ने लिखा है, पाकिस्तान के सफल दौरे के बाद भारत लौटे नसीरुद्दीन शाह ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि भारत में पाकिस्तान के प्रति नफरत बढ़ रही है.
इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह भी कहा है कि मैं पाकिस्तान जाता रहता हूं. मुझे लगता है कि लोगों में संपर्क बना रहना चाहिए, क्योंकि राजनेता तो जरूरत पडऩे पर रंग बदल लेंगे. भारतीयों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है कि पाकिस्तान एक दुश्मन देश है। उन्हें यह नहीं बताया जा रहा है कि इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या रही है.
नसीरुद्दीन शाह पाकिस्तान जाते रहते होंगे. यूं भी संगीत और अदाकारी को सीमाओं में बांधकर नहीं रखा जा सकता है. लेकिन शाह को यह बात ध्यान में रखनी होगी कि वह पहले भारतीय है, न कि पाकिस्तानी. सिर्फ अपनी किताब के बेचने भर के लिए पाकिस्तान को पाक-साफ करार देना कम से कम उन जैसे कलाकार को शोभा नहीं देता. पाकिस्तान दिवस पर भारत के विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह पर गरजने वाला मीडिया और बरसने वाले विपक्ष की चुप्पी समझ से परे है. नसीरुद्दीन शाह का यह बयान किसी भी भारतीय के गले नहीं उतर सकता कि भारत को इस मुदïदे पर राजनीति बंद करनी होगी. लोगों के संपर्क में रहना चाहिए, तभी तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को तमाम विरोधों के बाद भी आमंत्रित किया था. पाक प्रधानमंत्री के पाक वापस लौटते ही उनके सुर भी बदल गए. उससे पहले और उसके बाद की पाकिस्तान की ओर से होने वाली गोलीबारी से बेमतलब मरने हिसाब देना होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारतीय गणतंत्र दिवस के मौके पर वाशिंगटन हाउस ने यूं ही नहीं पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगर इस दौरान गोलीबारी या धमाका हुआ तो इसका जिम्मेदार पाकिस्तान होगा. यह बात किससे छिपी है कि वल्र्ड का मोस्ट वांटेड आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन भी पाकिस्तान में ही मिला था. भारत-पाक की मिली-जुली सांस्कृतिक विरासत है. लेकिन यह गुजरे समय की बात है. नसीरुद्दीन शाह द्वारा सिर्फ एक किताब की बिक्री के लिए पाकिस्तानियों के सामने भारत को दोषी ठहराना क्या जायज है? नसीरुद्दीन शाह को यदि पाकिस्तान से इतनी मुहब्बत है तो वह ‘भारत लौटे ही क्योंÓ? आम इंसान के दर्द को सुनहरे पर्दे पर जीवित करने वाला अभिनेता भारत के लिए इतने तल्ख शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी किताब के प्रमोशन के लिए करेगा, यह बात समझ से परे है. उनके इन शब्दों का भारत-पाक रिश्तों पर क्या फर्क पड़़ेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन फिलहाल मौजूदा हालात में पाकिस्तानियों को निर्दोष साबित करने वालों के लिए संजीवनी का काम ही करेगा.

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