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वाह अभि बाबू, सफलता का नशा सिर चढ़कर बोलता है. जरा मायावी दुनिया से बाहर निकल कर देखिए कुत्ता कितना पॉवरफुल होता है. अगर वह काट ले तो आदमी पानी नहीं मांगता. पागल हो जाता है. समय से इलाज न हो जो दुनिया से निकल भी जाता है. आपने जिसके लिए अपनी भावनाओं का इजहार किया है, उसने भी 2002 में फुटपाथ पर सो रहे कुत्तों पर ही गाड़ी चढ़ाई थी. आपने तो सभ्य समाज की हदें ही पार कर दी. कुत्ते ही है जो आपके गानों को सुन-सुनकर आपको स्टार बनाते है और उनके प्रति आपकी यह भावना. छीं छीं छी.
आदमी कितनी जल्दी अपने दिन भूल जाता है. यह बात अभि बाबू अपने से सीख सकते है, क्योंकि वह ही कह रहे है कि मैं भी बेघर था, लेकिन मैं फुटपाथ पर नहीं, रेलवे स्टेशन की बेंच पर सोता था. ठीक है, अभिजीत रेलवे स्टेशन की बेंच पर सो गए, लेकिन वह बेंच भी तो हर किसी को नसीब नहीं होती. लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप गरीब आदमी और कुत्तों को एक ही क्लास में गिनने लगे. आप तो अंग्रेजों से भी गए गुजरे निकले, वह तो विदेशी थे, तो उन्होंने भारतीयों को कुत्ता कहा और आप देशी है तो आपने गरीबों को कुत्ता जान लिया. अभि बाबू यह गरीब ही है जो आपको कंधों पर ढोते है, वरना घरों में सोने वालों के लिए तो किशोर दा, रफी साहब, मुकेश, जगजीत सिंह और लता दीदी ही बहुत है. आपको घास कौन डालता है. शुक्र मानिए मुंबई के फुटपॉथ पर सोने वालों को ट्विटर की जानकारी नहीं है, वरना आप आगे-आगे होते और कुत्ते आपके पीछे-पीछे.
बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान को 2002 के हिट एंड रन केस में पांच साल की सजा मिलने के बाद अभिजीत ने ट्विटर पर लिखा, कुत्ता रोड पर सोएगा, कुत्ते की मौत मरेगा, रोड गरीब के बाप की नहीं हैं. मैं एक साल बेघर रहा हूं, लेकिन रोड पर नहीं सोया. जब उनके बयान पर विवाद हुआ तो एक टीवी चौनल ने उनसे इस बारे में पूछा तो भी अभिजीत नहीं रुके. उन्होंने कहा, फुटपाथ पर सोना सुसाइड करना है. फुटपाथ पर सोने वाला स्टूपिड है। उसे सजा होनी चाहिए.
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