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न समझना न समझाना

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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तुम क्या हो,
मैं कैसे बता सकता हूं।
तुमने कभी बताया नहीं।
मैंने कभी समझा नहीं।
देखा है जिंदगी को मैंने तो
जिया है तुमने भी जिंदगी को
तुम्हारी सोच और मेरी समझ
तुम्हारी मासूमियत और मेरी बेरूखी
कभी मुस्कारना तो कभी नाराजगी
इनके बीच जिंदगी का बहते जाना
और कदम-दर-कदम यूं ही
खामोशी की चादर ओढे़ चलते जाना
न कभी समझना न कभी समझाना
और बस कहते जाना कि
मैं कैसे बता सकता हूं कि तुम कौन हो
-हरीश भट्ट

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