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डर तो लगता ही है जब …

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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एक अवॉर्ड फंक्शन में फिल्म स्टार आमिर खान ने कहा था कि देश का माहौल देखकर एक बार तो पत्नी किरण ने बहुत बड़ी और डरावनी बात कह दी थी. किरण ने पूछा था कि क्या हमें देश छोड़ देना चाहिए? किरण बच्चे की हिफाजत के लिए डर महसूस कर रही थीं.
आमिर खान की बात और उनकी पत्नी का डर सौ प्रतिशत सही है. हो भी क्यों न, जब अंडर वल्र्ड डॉन छोटा राजन मुंबई जेल में लाया जा चुका हो और दाऊद इब्राहिम को भारत लाने के लिए केंद्र सरकार ने चौतरफा प्रयास तेज कर दिए हो. ऐसे में डर तो मन में बैठ ही जाएगा. फिर उनकी धर्मपत्नी किरण राव इस बात को बेहतर जानती है कि आमिर खान एक फिल्म स्टार है, उनकी फिल्मी दिलेरी जमीनी हकीकत से मैच नहीं करती है. यूं भी सिल्वर स्क्रीन और पथरीली जमीन में जमीन-आसमान का अंतर होता है. वह जानती है कि आमिर खान एक आम भारतीय नागरिक की भांति अपने परिवार की सुरक्षा नहीं कर सकते है. तब ऐसे में भारत छोडऩा ज्यादा आसान है. यूं भी बॉलीवुड और अंडर वल्र्ड के नाते यदाकदा जग जाहिर होते ही रहते है. भारत में हुए आतंकी हमलों के आरोपियों को आज जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत वापस लाने के लिए प्रयास किए जा रहे है, तब ऐसे में आंतकियों का टारगेट प्वाइंट भी भारत ही होगा. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि डॉन को छुड़ाने के लिए किसी भी प्रकार की साजिश को अंजाम भी दिया जा सकता है. भय, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और महंगाई के सिवाय कांग्रेस ने भारतीयों को दिया ही क्या है. जिसकी वजह से भारतीय प्रतिभाओं का देश छोडऩा किसी से भी नहीं छिपा है. प्रधानमंत्री मोदी के विदेशी दौरों में भारतीयों की धूम की खबरे मीडिया के जरिए हर भारतीय घर-घर में पहुंच रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशों में फैले हुए भारतीयों को एकत्रित करना और भारत वापस लाने के प्रयास कितना रंग लाएंगे यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन फिलहाल हर भारतीय को गर्व की अनुभूति तो होती ही है. यूं भी बेईमानी तब तक ही फलती-फूलती है, जब तक ईमानदारी सोई रहती है. इस बात पर मनन करने की आवश्यकता है कि पाकिस्तान की जमीं पर जाकर भारतीय प्रधानमंत्री को हटाने की बात करने वाले लोग कौन है और किस राजनीतिक पार्टी से संबंध रखते है. मकड़ी की तरह अपने इर्द-गिर्द भ्रष्टाचार का जाला बुनकर चैन से सोने वालों के पेट में दर्द तो होगा ही जब उस जाले की तारों को एक-एक करके तोड़ा जाना शुरू हो चुका हो. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि सार्वजनिक मंच पर आप भारतीय प्रधामंत्री और भारतीयों के लिए कुछ भी कह जाते हैं. मीडिया भी आपके बयान को हाथों हाथ लेते हुए हर भारतीय तक पहुंचा देता है और फिर भी आप कहते है कि अभिव्यक्ति को व्यक्त करने की आजादी नहीं है.

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