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स्थायित्व प्रदान करती है कर्म पूजा

Harish Bhatt
Harish Bhatt
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काल करे सो आज, आज करे सो अब.
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करोगे कब.
वर्तमान में मीडिया क्षेत्र में इस दोहे को चरित्रार्थ होता देखा जा सकता है. जहां पर आज की नीति पर अमल होता है. हां, प्रलय जैसी बात तो नहीं होगी, लेकिन स्पर्धा के दौर में दूसरे के आगे निकल जाने का डर हमेशा मन में समाया रहता है. मीडिया क्षेत्र की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां पर किसी भी काम को अगले दिन पर नहीं छोड़ा जा सकता है. मतलब काम कितना भी हो, आज ही खत्म होना है. कभी-कभी झुंझलाहट भी बहुत होती है. यह कैसी नौकरी है, जहां पर एक दिन की छुट्टी भी आराम से नहीं मिलती. लेकिन यह झुंझलाहट है ईमानदार व कर्मठ व्यक्ति के स्वभाव में नहीं है, पर क्या किया जा सकता है. अब बात आती है उन लापरवाह व्यक्तियों की, जिनको शौक होता है, मीडिया में जॉब करने का, लापरवाह व अयोग्य व्यक्ति मीडिया में जॉब हासिल कर लेते है. लेकिन काम न करने की आदत के चलते न तो खुद ही काम करते है और न ही दूसरों को करने देते है. इन लोगों के पास इतना समय होता है कि देखकर ताज्जुब होता है. रही बात काम करने की, तो काम तो आता ही नहीं करे भी कैसे. उनकी यह आदत जब रूटीन काम में दखल डालती है तो सारा काम ही रूक जाता है. मेरी समझ में नहीं आता. जब काम की योग्यता नहीं होती, तो क्यों मीडिया में चले आते है.जब तक जिस कंपनी में रहो, ईमानदारी से काम करो. भले ही व्यक्ति पूजा आपको काम दिलवाने में मददगार साबित हो जाए, लेकिन कर्म-पूजा आपको स्थायित्व प्रदान करती है. साथ ही कंपनी को हमेशा काम करने वालों की जरूरत रहती है. क्योंकि जब करने वाले ही नहीं होगे तो कंपनी कैसे चलेगी. अब मीडिया क्षेत्र में जितना समय है उतने समय में एक ही काम को महत्व दिया जा सकता है व्यक्ति पूजा या कर्म पूजा. अब यह हमारे पर निर्भर करता है आखिर किसको महत्व देना है.

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