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मुसीबत न आए तो शायद जिंदगी नीरस ही हो जाए. मुसीबत तो मुसीबत ही होती है, लेकिन कई मायनों में वह फायदेमंद ही साबित होती है, जैसे मुसीबत आने पर ही अपने-पराए का पता चलता है, साथ ही मुसीबत से उबरने के लिए जो प्रयास किए जाते है, उनकी बदौलत इंसान और ज्यादा मजबूत हो जाता है. मुसीबत आने पर ही अपने बारे में पाली गई कुछ गलतफहमियां भी दूर हो जाती है. माना कि मुसीबतों का पहाड़ टूटता होता होगा, लेकिन इतना भी नहीं उनके सामने इंसान ही टूट जाए और आत्महत्या जैसा कदम उठा लें. कई उदाहरण है, जिन्होंने मुसीबतों से पार पाते हुआ इतिहास रच दिया. बस इसके लिए अपनी पूरी तैयारी के साथ धैर्य की जरूरत होती है. बस अपने मनमाफिक मौके का इंतजार. और मौका मिलते ही 20-20 स्टाइल में दे दनादन. निकाल दीजिए अपनी सारी कसर, सारी भड़ास और बना दीजिए एक नया इतिहास. मौका सभी को मिलता है, हां देर-सबेर हो सकती है पर इतनी भी नहीं होती कि आप कुछ कर ही न सके. टी-20 वल्र्ड कप में क्रेग ब्रेथवैट 6 बाॅल में 19 रन जैसा नामुमकिन स्कोर बनाने की सोचकर निराश हो जाता या मार्लोन सैम्युअल अपने सहयोगी बल्लेबाजों की तरह घबराकर पैवेलियन लौट जाता तो क्या वेस्टइंडीज जीत पाता या भारतीय राजनीति में 2014 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी विपक्षियों के तानों से घबराकर मुकाबला न करते तो क्या वह प्रधानमंत्री बन पाते. इन दोनों का जवाब एक ही है नहीं. लेकिन दोनों ही मामलों में सही वक्त का इंतजार किया गया और मौका मिलते ही असंभव को संभव बना दिया गया. बात पढ़ाई की हो या नौकरी की या फिर प्यार में असफल होने की. एक बार में नाकाम साबित होने का मतलब यह नहीं कि जिंदगी खत्म. मुसीबत का नाम ही जिंदगी है. जिंदगी मुसीबतों से निकलकर निखरती, मुस्कराती है. इसलिए हंसते-मुस्कराते हुए खुद को तैयार करते रहिए आने वाली मुसीबतों से लड़ने के लिए. जब इंसान चांद पर पहुंच गया, आसमान में उड़ गया तो फिर बचा ही क्या.
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