Menu
blogid : 2899 postid : 1349025

स्त्री का अपमान मतलब पतन का आगाज

Harish Bhatt
Harish Bhatt
  • 329 Posts
  • 1555 Comments

बाबाओं का संसार एक स्वेटर के सामान है. एक धागा क्या टूटा, पूरा स्वेटर ही उधड़ गया. फिर चाहे आसाराम हो या रामपाल या फिर राम रहीम. सिर्फ एक क्लू मिलते ही सारा तिलिस्म भरभरा कर गिर पड़ा. ये भारतीय न्याय व्यवस्था है, जिसमे दोषी के बचने की कोई गुंजाइश नहीं है. हां इतना जरूर है कि फैसला आने में थोड़ी देर हो जाए. समाज में हरेक के लिए एक चरित्र निर्धारित है, उस चरित्र से अलग मतलब नीयत में खोट. किसी की अंधभक्ति में डूबने से पहले उसके चरित्र को समझना जरुरी है. आखिर कोई किसी को यूं ही मुफ्त में फायदा नहीं पहुंचाता. फिर चाहे कोई बाबा हो या फिर कोई अन्य. हां अपवाद हो सकते है, यह अलग बात है. सबका सच जानने का दावा करने वाले इन फ़र्ज़ी बाबाओं की नीयत न पहचान सके. अब बाबाओं के दोष साबित होने के बाद इनसाइड स्टोरीज की भरमार है. ये सोचनीय बात है. लेकिन बाबाओं की नीयत में यह खोट किसी चमत्कार की तरह रातोंरात तो हुआ नहीं होगा. ये तो बूंद-बूंद घड़ा भरने जैसा ही हुआ होगा न, इन बाबाओं के मायावी भ्रमजाल को बुनने में इनके अंधभक्तों की सार्थक भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है. बाबाओं का राजनीति में या अपराध की दुनिया में दखल आँखों में खटकता है. लेकिन इनसे भी आगे यौन शोषण और भी बाबाओं के द्वारा. ये बात तो बर्दाश्त के बाहर की बाहर की बात है. दुनिया को मोह-माया से दूर रहने की शिक्षा देने वालों बाबाओं को क्या इतना भी ज्ञान नहीं है कि स्त्री का अपमान मतलब पतन का आगाज. स्त्री के आंसुओं के सैलाब में अच्छे-अच्छे शूरमाओं का अस्तित्व मिट गया. सतयुग और द्वापर की कहानियां काल्पनिक हो सकती है, लेकिन कलयुग में तो बाबाओं की करतूत साक्षात दुनिया के सामने है. ये तो जनता को ही तय करना है कि बाबाओं की भक्ति में मन रमाना है या फिर अपनी-अपनी छोटी की गृहस्थी में. सरकार और न्यायलय बाबाओं को सजा ही दे सकते है, भक्तों का मन नहीं बदल सकते.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh